लहसुन का उपयोग हमारे देश में वैदिक काल से सब्जी के लिए मसालों व दवा के रूप मे
लिया जाता है। इसकी विशेषता यह है कि यह हमारे रक्त में जमा कॉलस्ट्राल को कम करता है। इसके उपयोग से हमारी पाचन शक्ति ठीक रहती है। गैस नहीं बनती, इसकी गाँठ गठिया,
स्वाँस व पुरानी खाँसी को ठीक करती है। गाँवों में प्राय: किसानों में खाँसी-जुखाम होने पर
लहसुन की गांठ को गरम राख में सेक कर खाते हैं तथा घंटे दो घंटे तक पानी नहीं पीने से
तीन दिन में ठीफ हो जाती है। पुराने दाद व चरम रोग होने पर लहसुन का प्रयोग अन्य देगी। दवाओं के साथ किया जाता है। ‘अमरबेल आमर का कचरा तीजी गठिया गाँठ जे मिल जाय सुहागण तो करे दाद को साफ’ (आमर का कचरा रसोई की छान का धूमसा होता है, गठिया गाँठ लहसुन की पोथी होती है एवं सुहागण मेहन्दी होती है) इसमें दस-दस ग्राम समान मात्रा में लेकर बारीक पीसकर दाद को एलुमिनियम के सिक्के से खोरकर उक्त मलहम का लेप करें, तीन-चार दिन में ठीक हो जायेंगे।
- भूमि:- लहसुन प्राय: सभी प्रकार की भूमि में होता है। लेकिन काली दुमट मिट्टीव नदियों के मुहाने की मिट्टी, इसकी पैदावार के लिए उपयुक्त होती है। इसमें 100 किंटल प्रति हैक्टर के हिसाब से खाद डालकर जमीन को जोत कर तैयार करते हैं। लहसुन के लिए दो-तीन गहरी जोत लगाकर जमीन को पोली की जाती है व आलू की तरह डोलियाँ बनाकर दोनों तरफ नाली से दो-दो इंच की उँचाई पर इसकी गांठ से कलियाँ निकालकर दो-दो इंच के अन्तराल पर हाथों से चुभाई की जाती है। चुभाई के तुरन्त बाद नालियों में पानी भरने पर सीम से इसकी कलियाँ सात-आठ दिन में अंकुरित होती हैं। चार-पाँच दिन के अन्तराल से पानी देते रहते हैं।
- खरपतवार :- खरपतवार नियंत्रण के लिए बीस-पच्चीस दिन बाद जब लहसुन की पत्तियां नौ-दस इंच की हो जायें तो खरपतवार निकाल कर खुरपी की सहायता से पौधों के चारों तरफ जमीन पोली करें व नालियों में मिट्टी लेकर पौधों के चारों तरफ लगायें। दो-तीन दिन धूप लगने के पश्चात् पानी दें, उपर से पत्तियाँ पीली होने पर पाँच किलो प्रति बीघा के हिसाब से राख का छिड़काव करें, इससे कीटों का प्रभाव नहीं होता तथा पत्ते भी पीले नहीं होंगे।
- बीज की मात्रा:- लहसुन के लिए आठ क्विंटल प्रति हैक्टर बीज की आवश्यकता होती है तथा समतल क्यारियों में बीज की मात्रा बढ़ जाती है। क्यारियों में लगाया हुआ लहसुन छोटा होता है, इसका उत्पादन डेढ़ सौ क्विंटल प्रति हैक्टर के हिसाब से हो सकता है। अगर आखिरी में गहरी खुदाई व पानी की कमी रखी गई तो इसका प्रभाव उत्पादन पर बहुत पड़ सकता है।
- खुदाई:- खुदाई के समय लहसुन को खुरपी की सहायता से उखाड़ कर लहसुन की गांठों को पत्तों सहित 20-25 गांठों के मूठे बाँधकर छाया में रख देते हैं। पूरी खुदाई के बाद उनकी मिट्टी झाड़कर अंधेरे वाली छाया में रखते हैं।