अडूसा एवं गिलोय की खेती

अडूसा ज्यादातर पहाड़ों या उनकी तलहटियों में पाया जाता है। इसका रंग हरा व पत्ते आम की तरह लम्बे होते हैं। इसमें तना जमीन के बराबर होकर बहुत सी फुटाने होती हैं। इसके पत्तों का रस बहुत लाभकारी है। इसके रस को शहद के साथ देने से पुरानी से पुरानी खाँसी से निजाद मिलती है। …

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खींफ की खेती

खींफ जंगली पौध है। यह प्रायः गहरे नाले, पहाड़ी या खाली जमीन में वर्षा काल में उगता है तथा कूंचे की तरह फैलता है। इसमें एक-डेढ़ मीटर तक के कुन्दे होते हैं, जिनके बीच में भी फुटान होती है। उपर से बहुत जगह घेरते हैं। बसन्त ऋतु में जाकर हल्के छोटे फूल आते हैं तथा …

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आँवला की खेती

आँवला हर तरह की भूमि में लगाया जाता है। आँवले का रस हमारे शरीर के लिए अमृत है। इसमें विटामिन सी अधिक मात्रा में पाये जाने के कारण यह हमारे व पशुओं के लिए लाभकारी है। यह त्रिदोष (वात, कफ व पित्त) निवारक फल है, भूख बढ़ाने वाला है। इसका सेवन प्रत्येक मौसम में किया …

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पपीता की खेती

पपीता हमारे देश में प्राचीन काल से ही बोया जाता है। इसका पेड़ जल्दी बढ़ने वाला व अन्दर से जालीनुमा होता है। ज्यादा पानी के प्रभाव से गलकर टूट जाता है। इसके पत्ते चारों तरफ एक मीटर का डण्ठल छोड़कर कटे हुए गोलाकर में रहते हैं। इसका फल शुरू में हरा एवं ने पर पीला …

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करौंदा की खेती

फलों में करीदा का उपयोग प्राचीन समय से ही कर रहे हैं। इसका पेड़ होता है, जो बारह से पन्द्रह फिट तक उपर बढ़ता है। इसके पत्ते छोटे व गहरे चिकने होते हैं तथा टहनियों पर कांटे होते हैं। इसके उपर लगाने के चार-पाँच साल बाद फल आता है। फल से पूर्व सफेद रंग के …

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लहसुन की खेती

लहसुन का उपयोग हमारे देश में वैदिक काल से सब्जी के लिए मसालों व दवा के रूप मे लिया जाता है। इसकी विशेषता यह है कि यह हमारे रक्त में जमा कॉलस्ट्राल को कम करता है। इसके उपयोग से हमारी पाचन शक्ति ठीक रहती है। गैस नहीं बनती, इसकी गाँठ गठिया, स्वाँस व पुरानी खाँसी …

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मेथी की खेती

मेथी की खेती हमारे देश में आदिकाल से ही की जाती है – एक मोटी होती है तथा दूसरी बारीक। मोटी को सब्जी मसाले आदि में काम लेते हैं। इसकी पत्तियाँ बड़ी होती हैं। दूसरी को लालर मेथी कहते हैं, इसकी पत्तियाँ छोटी होती हैं। खुशबू ज्यादा होने के कारण इसकी पत्तियों का उपयोग सब्जी …

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धनिया की खेती

धनिया मसाले के रूप में काम में लिया जाता है। इसका बीज गहरा भूरे रंग का और काली मिर्च के बराबर होता है। उपर हल्की धारी व थोथा होता है। यह शीतोष्ण है, यह शरीर के तापमान को सही रखता है। हरा धनिया प्राय: खुशबू के लिए सब्जी में डाला जाता है तथा बटनी बनाकर …

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जीरा

मसालों में जीरा बहुत ही महत्वपूर्ण है। शीतलता का गुण होने से यह हमारे शरीर के अन्दरूनी भाग में फोड़ा-फुंसी व घाव होने से बचाता है। इसका बीज लम्बा व गोल होता है, उपर हल्की धारियाँ होती हैं। इसके बीज का आकार गाजर के बीज की तरह होता है। भूमि:- जीरा फाली दुमट व बालू …

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अजवायन

अजवायन का दाना गहरे हरे रंग का लम्बा व बीज गाजर की तरह का होता है। ऊपर बारीक धारियाँ बनी हुई होती हैं। यह पाचक, रुचिकारक, पित्तनाशक होता है। यह खाने में गरम व तीक्ष्ण होता है तथा गर्भाशय को उत्तेजित करने वाला होता है। पीलिया रोग व बवासीर को खत्म करता है। इसके सेवन …

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