कम्पोस्ट खाद तैयार करने की विधि:- सबसे पहले हम छाया में सात गुणा दस गुणा तीन बराबर दो सौ दस घन फिट का गड्ढा खोदें व उसके चारों तरफ निकाली हुई मिट्टी की डोली बना लें तथा राख लेकर उसमें चारों तरफ छिड़क दें, जिससे दीमक व अन्य किटाणुओं का प्रभाव न पड़े। बाद में गड्ढे में गली हुई कड़वी, पानी-पुआल आदि को पैदे में चारों तरफ बिछा दें तथा गाय भैंस के द्वारा खाया हुआ, जो चारा बच जाता है, उसको 15 सें.मी. की परत बनाकर बिछाया जाता है। उपर भी 15-15 सें.मी. की परतें गोबर, चारा, नीम, आक के पत्ते आदि से पूरे गड्ढे को भर दिया जाता है। पूरा भर देने के बाद दो दिन तक लगातार उसमें पानी दिया जाता है। उपर ढक कर के 45 दिन तक छोड़ देते हैं तथा बाद में उपर से ढक्कन हटाकर के पूरे में पलटी मारी जाती है। उसके बाद दो दिन तक लगातार पानी देकर ढक दिया जाता है, फिर 45 दिन बाद आवश्यकतानुसार खाद को काम में ले लेते हैं। इसको धूप में खुला छोड़ने पर इसके मुख्य तत्व उड़ जायेंगे व खाद का महत्व खत्म हो जायेगा।
वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने की विधि :- सबसे पहले हम छाया में सात गुणा दस गुणा तीन बराबर दो सौ दस घन फिट का गड्ढा खोदें व उसके चारों तरफ निकाली हुई मिट्टी की डोली बना लें तथा राख लेकर उसमें चारों तरफ छिड़क दें, जिससे दीमक व अन्य किटाणुओं का प्रभाव न पड़े। बाद में गड्ढे में गली हुई कड़बी, पानी-पुआल आदि को पैदे में चारों तरफ बिछा दें तथा गाय भैंस के द्वारा खाया हुआ जो चारा बच जाता है, उसको 15 सें.मी. की परत बनाकर बिछाया जाता है। उपर भी 15-15 सें.मी. की परतें गोबर, चारा, नीम, आक के पत्ते आदि से पूरे गड्ढे को भर दिया जाता है। पूरा भरने के बाद दो दिन तक लगातार उसमें पानी दिया जाता है, इसमें केंचुए छोड़कर उपर ढक करके 45 दिन तक छोड़ देते हैं। फिर 45 दिन बाद आवश्यकतानुसार खाद को काम में ले लेते हैं। इसको धूप में खुला छोड़ने पर इसके मुख्य तत्व उड़ जायेंगे व खाद का महत्व खत्म हो जायेगा। जीवित केंचुए होने की वजह से बार-बार पानी डाला जाता है व ढक कर रखा जाता है।
जिप्सम कम्पोस्ट बनाने की विधि :- सबसे पहले हम छाया में सात गुणा दस गुणा तीन बराबर दो सौ दस घन फिट का गड्ढा खोदें व उसके चारों तरफ निकाली हुई मिट्टी की डोली बना लें तथा राख लेकर उसमें चारों तरफ छिड़क दें, • जिससे दीमक व अन्य किटाणुओं का प्रभाव न पड़े। बाद में गड्ढे में गली हुई कड़वी, पानी-पुआल आदि को पैदे में चारों तरफ बिछा दें तथा गाय भैंस के द्वारा खाया हुआ जो चारा बच जाता है, उसको 15 सें.मी. की परत बनाकर बिछाया जाता है। उपर भी 15-15 सें.मी. की परतें गोबर, चारा, नीम, आक के पत्ते आदि से पूरे गड्ढे को भर दिया जाता है। इसमें 15 सें.मी. की जिप्सम की परत लगाई जाती है। पूरा भरने के बाद दो दिन तक लगातार उसमें पानी दिया जाता है। उपर ढक कर के 45 दिन तक छोड़ देते हैं तथा बाद में उपर से ढक्कन हटाकर के पूरे में पलटी मारी जाती है। उसके बाद दो दिन तक लगातार पानी देकर ढक दिया जाता है। फिर 45 दिन बाद आवश्यकतानुसार खाद को काम में ले लेते हैं। इसको धूप में खुला छोड़ने पर इसके मुख्य तत्व उड़ जायेंगे व खाद का महत्व खत्म हो जायेगा।