अजवायन का दाना गहरे हरे रंग का लम्बा व बीज गाजर की तरह का होता है। ऊपर बारीक धारियाँ बनी हुई होती हैं। यह पाचक, रुचिकारक, पित्तनाशक होता है। यह खाने में गरम व तीक्ष्ण होता है तथा गर्भाशय को उत्तेजित करने वाला होता है। पीलिया रोग व बवासीर को खत्म करता है। इसके सेवन से कैंज दूर होती है। इसको उपयोग में लेने के कई तरीके हैं। पेट दर्द में नमक के साथ, प्रसव काल में गाय, भैंस, बकरी को बाट में व पानी में डालकर पिलाई जाती है। महिलाओं को प्रसव काल में घी-शक्कर में कूटकर खिलाई जाती है।
- बोने के लिए जमीन की तैयारी:- अजवायन के लिए काली दोमट मिट्टी अच्छी रहती है। बालू दोमट में भी पैदा होती है, लेकिन पौधा ज्यादा मजबूत नहीं बन पाता जो पैदावार को प्रभावित करती है।
- बीज की मात्रा :- इसका बीज बारीक होने से मशीनों द्वारा नहीं बोया जा सकता है, बीज को छिड़ककर बोया जाता है।
- बुवाई का समय:- अजवायन गेहूँ के साथ नवम्बर माह में बोई जाती है। इसके बाद बोने पर पकते समय माह अप्रेल में ज्यादा धूप हो जाती है। दाना एकदम बारीक रह जाता है, गुणवत्ता में श्रेष्ठ नहीं है।
- बुवाई जुलाई:- अजवायन के लिए जमीन में 100 क्विंटल प्रति हैक्टर के हिसाब से सड़ा गला खाद डालकर दो-तीन गहरी जुताई करें तथा जमीन को पानी पिलाकर तीन-चार दिन के लिए छोड़ दें। फिर बीज छिड़क कर जमीन की दो हल्की जुताई करें व पाटा फेर दें, क्यारियाँ बनाकर छोड़ दें।
- पानी की मात्रा:- अजवायन को बोते समय गेहूँ की तरह गहरी नमी होनी चाहिए तथा 20 से 25 दिन बाद हल्का पानी दें।
- खरपतवार:- अजवायन में खरपतवार निकालना आवश्यक है। एक साथ अगर दो-तीन पौधे हों तो अच्छे तने वाले पौधे को छोड़कर बाकी को उखाड़ दें। पौधों में 9-10 इंची की दूरी बनायें। खरपतवार निकालने के बाद जमीन में धूप लगने दें, इसके बाद पानी दें।
- उपचार (रोग नियन्त्रण):- जीरे की तरह अजवायन में भी ओस झाड़नी पड़ती है। इसमें सूर्योदय के समय जमीन के दोनों तरफ दो आदमी खड़े होकर अपने हाथ में रस्सी पकड़कर रस्सी को हिलाते हुए चलें ताकि ओस झड़ जाये। ओस नहीं झाड़ने पर एफिड़ (अळ) होने की सम्भावना रहती है। राख व चूना समान मात्रा में मिलाकर तुरन्त छिड़क दें। दो-तीन पानी देने के साथ अप्रैल प्रारम्भ तक अजवायन पक जाती है। उपर से फाट फर इकट्ठा करते हैं तथा सूखने के बाद हल्की फुटाई करके हवा में बरसाकर कचरे से अलग करते है ताकि हल्का दाना उड़कर नीचे गिर जाता है व साफ गुणवत्ता वाले दानों को इकट्ठा करके बोरियाँ भर लेते हैं।
- भण्डारण की व्यवस्था – इसको बोरियों में भरकर सूखी जगह में रखते हैं तथा एक डेढ़ महिने बाद बोरियों को पलटते हैं ताकि नमी के कारण अजवायन खराब नहीं हो।