इसमें विटामिन सी अधिक होता है। इसके बीजों में 23 प्रतिशत तेल पाया जाता है। मिर्च में कई औषधिय गुण होते हैं। हैजा होने पर हींग, मिर्च व कपूर का सेवन करने का सुझाव दिया जाता है।
- भूमि तथा जलवायु मिर्च गर्म जलवायु की फसल है। यह देश की विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में उगाई जाती इसके लिये बलुई, दोमट मिट्टी अधिक उपयुक्त है, जिसमें पानी की निकासी अच्छी हो, वर्षा का पानी खेत में भरा हुआ नहीं होना चाहिए। पानी भरा रहने से पत्ते पीले पड़ जाते हैं। यह कई आकार में होती है। अलग-अलग जगह अलग प्रकार की होती है।
- पौध तैयार करना – अगेती फसल लेने के लिए मिर्च के बीज दिसम्बर में ही क्यारियों में डालें। सर्दी ज्यादा पड़ने पर पौध देर से निकलती है। इस पर सूखा हुआ पास डालें या टाटिया बनाकर डालें व समय पर पानी दें ताकि पाले का असर न पड़े। फरवरी के पहले पखवाड़े में इसकी पौध तैयार हो जाती है। 18 किलो प्रति हैक्टर के हिसाब से इसमें बीज पड़ता है। बीज गोल, चपटा व हल्के पीले रंग के होते हैं | बड़ी क्यारियों में डालने पर पानी में तैरते हैं, इस पर मिट्टी छिड़क कर दवाना जरूरी होता है। खरपतवार निकालना जरूरी है।
- खेत की तैयारी – जब तक पौध तैयार हो, खेत में गहरी जुताई करें व 5-6 से जोत लगाकर जमीन को पोली कर लें। बाद में पाटा लगा कर खाद डालें। सड़ी हुई गोबर की खाद 100 किंटल प्रति हैक्टर या 1/4 भाग कम्पोस्ट खाद डालें। खाद फैला कर फिर एक जोत लगायें व पाटा फेर कर क्यरियों बना लें। क्यारियां चौरस या डोलियों में बना सकते हैं।
- पौध का स्थानान्तरण – मिर्च की पौध, नर्सरी से उखाड़ कर नीम की पत्तियों के पानी में उसकी जड़ों को धो लें व मिट्टी साफ कर लें। इसके बाद क्यारियों में लाईन से • लाईन 1 फिट की दूरी पर, पौधे से पौध की दूरी 1.5 फिट रखें क्योंकि उसका पौधा चार या पांच फिट तक बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में हवा न लगने पर जाते हैं।
- पानी – गर्मी की फसल में 2-3 दिन से पानी लगाना चाहिए। 45 डिग्री से. से उपर • तापमान हो तो एक दिन छोड़कर पानी लगायें। वर्षा के दिनों में चार-पांच दिन से पानी दें।
- खरपतवार निकालना – ग्रीष्मकालीन मिर्च में निराई गुड़ाई 2-3 बार करें व वर्षा के दिनों में 5-6 बार करें। निराई गुड़ाई कर खरपतवार बाहर फेंक दें व मिट्टी को तने के सहारे लगा दें। जिससे तना मजबूत होगा। पेड़ स्वस्थ होगा।
- तुड़ाई – सब्जी के लिए जब मिर्च का आकार हरा व लम्बा हो जाय तो तुड़ाई शुरू कर दें। तुड़ाई के समय पौध को ज्यादा हिलाये नहीं। ज्यादा हिलाने पर फूल झड़ते हैं। ग्रीष्मकाल में जब तक वर्षा खत्म नहीं हो तब तक हरी मिर्च तोड़ सकते हैं। लाल हो जाये तो मसाले के पाऊडर के लिए तोड़ कर सुखा दें। इसको छाया में सुखायें व ओस से बचाने के लिए ढक कर रखें, धूप में रंग सफेद हो जाता है।
रोग एवं नियंत्रण – इसमें पत्ते सिकुड़ने की स्थिति ज्यादा होती है। पत्ते सिकुड़ने पर कुण्ड का पानी दें।