प्याज का प्रयोग भोजन के साथ प्राय: सभी घरों में होता है। पकी हुई प्याज का उपयोग सब्जी व मसाले में होता है। इसमें प्रोटीन, लोहाच विटामिन सी पाया जाता है। प्याज मुख्यत: दो प्रकार का होता है लाल छिलफा व सफेद मूरा छिलका वाला, इसकी लाल फिस्म अधिक टिकाऊ व फम चटपटी होती है।
- पौध की बुवाई – सितम्बर से जनवरी तक प्याज की पौध तैयार की जाती है। प्याज की पौध के लिये क्यारियां बना कर उनमें बीज छिड़का जाता है। एक हैक्टर को पौध तैयार करने के लिए 12 किलो ग्राम चीज की आवश्यकता होती है। इसकी पौध 40 से 45 दिन में तैयार होती है।
- खेत की तैयारी – प्याज प्रायः बालू दोमट मिट्टी में अधिक पैदा होता है। इसकी बुवाई से पूर्व तीन चार जोत लगाई जाती है व जमीन को आलू की तरह गहरी खुदाई की जाती है। इसके बाद 100 किंटल प्रति हैक्टर के हिसाब से गोबर की सड़ी हुई खाद/कम्पोस्ट खाद को डालकर एक हल्की जोत लगायी जाती है तथा पाटा फेर कर क्यारियां तैयार कर ली जाती है। इस प्रकार तैयार की हुई क्यारियों में पूर्व की गई क्यारियों से तैयार की गई पौधे उखाड़कर उसको 4-5 घन्टे तक छोड़ देवें। जिससे उसकी मिट्टी साफ हो जाये, बाद में नीम की पत्ती को पानी में डुबोकर जड़ों को साफ कर लें व पौधे लगाना शुरू कर दें।
- बुवाई – प्याज को क्यारियों में से 2″ के अंतराल पर लगाया जाता है। इससे प्याज मोटाई अधिक होती है। गीता पारियों में बीज पर निकाल कर 2 पर छोड़ा जाता है।
- पानी – पौधे लगाने के बाद पानी देना आवश्यक होता है, इससे इसकी जड़े जमीन में दव जाती है। पानी 10 दिन के बाद दिया जाता है।
- निराई-गुड़ाई – इसमें निराईप गुड़ाई की अति आवश्यकता होती है क्योंकि प के बीच दूरी कम होती है। खरपतवार अधिक होने पर पौध निकालने में समय अधिक लगता है। गहरी गुजाई की जाती है जिससे जमीन पोली होती है व प्याज मोटा होता है।
- खुदाई – प्याज की खुदाई पौधे लगाने के चार माह बाद होती है। जब प्याज के पलने की चोटी पीली पढ़ कर मुर्झा जाये तब प्याज को खुरपी द्वारा खोद लेना चाहिए। प्याज कर पत्तियां साफ कर लेवें। किसी छायादार जगह पर ढेर लगाकर रख दे ताकि हवा से फल्द पूरी तरह सूख जाये, कटी हुई प्याज छांट कर अलग कर देवें, प्याज को ऐसी जगह रखा जाये जहाँ हथा तथा रोशनी प्रचुर मात्रा में मिल सके तथा 10-12 दिन के अन्दर पलटते रहे, सूखी तथा अंकुरित गांठों को छांट कर अलग करते रहे तथा बारीक प्याज की गांठे अलग कर दें।